Makkhan Lal Poonia
गाँधी जी का अहिंसा वादी भारत :- दादाजी जी की वो बात आज भी मुझे अच्छी तरह से याद है , में बहुत बार याद करके मन ही मन में गर्व महशुश करता हूँ कि मुझे भी अहिंसा वादी दादाजी के संस्कार मिले !
बात उन दिनों की ह जब गाँव में लोग फसल काट कर अपने खेत से घर लाते थे , ज्यादातर लोग अपनी फसल बेल गाड़ी या भेंसा गाड़ी या फिर ऊँट गाड़ी से लाते थे , में भी दादाजी के साथ खेत में गया हूवा था जिसे हम फ़िलहाल देव नगर (भांड याली ) के नाम से जानते है , शाम के लगभग 6:00 का समय था ,चारों और से पक्षियों की आवाज सुनाई दे रही थी , हम भी हमारे गाँव (गुंगारा ) में प्रवेश किया ,दादाजी गाड़ी के पीछे चल रहे थे, में उनके साथ था , गाँव में एक बुजरग वक्ती अपने घर से बहार निकला और दादाजी को को गाली बक दी , दादाजी ने पहले तो ध्यान से सुना और और फिर उस बुजरग वक्ती को बोले " देख वो , कशोक बोल्यो हे , कोई बात कोनि , आज्या चिलम पील , उसके गाली बोलने पर भी दादाजी ने बिलकुल घुसा नहीं किया और उसको सामान दिया ! ये सुनते ही वो वक्ति शर्मिंदा हो कर अपने घर में घुस गया , वहां पर खड़े कई लोग देखते ही रह गए ! उस दिन बाद वो वक्ती दादाजी के सामने आने से भी शर्मिंदा होता था !
ये शब्द बोलने के पीछे उस वक्ति का कारण ये था कि मेरे बड़े भैया और उस वक्ति का लड़का दोनों एक साथ रहते थे और शाम को देर तक घर नहीं लोटते थे और वो मेरे भाई की वजह से दादाजी को गाली दे रहा था !
एसी बहुत सी बात मेरे दादाजी में थी , जेसे दादाजी कहीं भी जाते तो रास्ते में सभी से राम - राम करके चलते थे कभी भी किसी का बुरा नहीं सोचते थे और तो और रास्ते में पड़ी छड़ी को भी रास्ते वो हटाये बगेर नहीं चलते थे !
में हूँ ! आम आदमी !
मक्खन लाल पूनिया
गाँधी जी का अहिंसा वादी भारत :- दादाजी जी की वो बात आज भी मुझे अच्छी तरह से याद है , में बहुत बार याद करके मन ही मन में गर्व महशुश करता हूँ कि मुझे भी अहिंसा वादी दादाजी के संस्कार मिले !
बात उन दिनों की ह जब गाँव में लोग फसल काट कर अपने खेत से घर लाते थे , ज्यादातर लोग अपनी फसल बेल गाड़ी या भेंसा गाड़ी या फिर ऊँट गाड़ी से लाते थे , में भी दादाजी के साथ खेत में गया हूवा था जिसे हम फ़िलहाल देव नगर (भांड याली ) के नाम से जानते है , शाम के लगभग 6:00 का समय था ,चारों और से पक्षियों की आवाज सुनाई दे रही थी , हम भी हमारे गाँव (गुंगारा ) में प्रवेश किया ,दादाजी गाड़ी के पीछे चल रहे थे, में उनके साथ था , गाँव में एक बुजरग वक्ती अपने घर से बहार निकला और दादाजी को को गाली बक दी , दादाजी ने पहले तो ध्यान से सुना और और फिर उस बुजरग वक्ती को बोले " देख वो , कशोक बोल्यो हे , कोई बात कोनि , आज्या चिलम पील , उसके गाली बोलने पर भी दादाजी ने बिलकुल घुसा नहीं किया और उसको सामान दिया ! ये सुनते ही वो वक्ति शर्मिंदा हो कर अपने घर में घुस गया , वहां पर खड़े कई लोग देखते ही रह गए ! उस दिन बाद वो वक्ती दादाजी के सामने आने से भी शर्मिंदा होता था !
ये शब्द बोलने के पीछे उस वक्ति का कारण ये था कि मेरे बड़े भैया और उस वक्ति का लड़का दोनों एक साथ रहते थे और शाम को देर तक घर नहीं लोटते थे और वो मेरे भाई की वजह से दादाजी को गाली दे रहा था !
एसी बहुत सी बात मेरे दादाजी में थी , जेसे दादाजी कहीं भी जाते तो रास्ते में सभी से राम - राम करके चलते थे कभी भी किसी का बुरा नहीं सोचते थे और तो और रास्ते में पड़ी छड़ी को भी रास्ते वो हटाये बगेर नहीं चलते थे !
में हूँ ! आम आदमी !
मक्खन लाल पूनिया
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