Tuesday 23 October 2012

गुंगारा निवासियों की माताजी पैदल यात्रा विशेष :-

 गुंगारा निवासियों की  माताजी पैदल यात्रा विशेष :-

                दिनांक २१-१०-२०१२ को शुबह ५;३० बजे गुंगारा से माँ भवानी जीण माता के लिए पैदल यात्रा शुरू की,साथ में रिम-झिम डी.जे. व् एक  ५२ शीटर बस
तथा कम से कम १५० आदमी जिसमे महिला,वृद,व् बच्चे सभी  शामिल थे ,
                जेसे ही गाँव के महला परिवार के पास से पैदल यात्रा शुरू हूही सतपाल धिवां ने डी.जे. पर ऐलान किया, गुंगारा वोसियो, सब को सूचित किया जाता ह कि सभी लोग नींद से जग कर नहाना धोना करके घर से बहार आये और माता के पैदल यात्रा में शरीक होने का कष्ट करें, जो वक्ती न नहाना चाहे वो फ्रेश होकर मुहँ साफ करके आ जाओ ,और साथ में वर्द्ध,बच्चे व् महिलाओं को साथ ले कर आवे,जिस वक्ती से पैदल नहीं चला जायेगा उनके लिए बस कि सुविधा कि गयी ह साथ,रस्ते में सभी प्रकार कि सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी, समस्या समज कर यात्रा को न टाले, सभी ग्राम वासियों को उनकी लुगायाँ कि सोगंद, और लुगायाँ ने आपका बींद कि सोगंद ,जिनकी शादी नहीं हूही उनकी माता से मनत मांगने पर शादी हो जाएगी,इसलिए गाँव वालों से नम्र निवेदन ह कि जल्दी से जल्दी पैदल यात्रा में शरीक होने का कस्ट करें !
                      देखते ही देखते माता के नाम पर भक्तों कि भीड़ जुटने लगी और ढाणियों से व् गाँव से यात्रा में शामिल होते गए पलाशिया , पिपराली व् बाजोर तक लोग डी.जे.की आवाज सून कर अपने आप रोक नहीं पाए और माता की पैदल यात्रा में शामिल हो गए सब के चहरे खिले हुए और माता के जयकारे के साथ रिमझिम पर डान्स करते बाजोर पहुंचे वहां पर सब ने नास्ता व् चाय पि और वहीँ पहले वाली धून में चल पड़े जो भी रस्ते में मिला वो अपने आप को रोककर देखे बगेर नहीं रह सका !
                  रस्ते में किशोर धींवा (O . P . धींवा का छोटा भाई ) सीकर से बोलेरो लेकर 50 K .G . केला लेकर आया सब को खिलाया ,थोड़ी देर में किशोर टेलर,निशांत ,भी गाड़ी लेकर आये और पैदल यात्रियों को केले बाँट कर जल्दी ही माता के दर्शन को चले गए !
                                   मोसम भी बड़ा सुहावना हो रहा था, साथ में रिमझिम पर बंशा धींवा ,झाबर मल सुंडा ,फूला सुंडा ,सेवा राम बलाई ,ओ.पि.धींवा ,महावीर धींवा ,किशोर नेहरा ,महावीर (चिमना राम धींवा )सतपाल , महेंद्र महला ,बबलेश ,महेंद्र डी.जे.,अमर चंद महला,लगभग गाँव के सभी साथी ,ओरतें व् छोटे -छोटे बच्चे डान्स कर रहे थे ,और तो और रेवासा गाँव में एक भांड व् एक और ,दोनों भी खूब हमारे साथ झूमे वो नजारा अलग ही था



    माता के धाम में पहुँचते ही सब ने दर्शन किये और बस में बैठकर
ज्यों ही गाँव की तरफ चले फिर बस में वही माहोल बन गया महिलाओं ने गीत गाने शुरू कर  दिया और बस में ही नाचते गाते वापिस गाँव रात को १०;०० बजे वापिस पहुंचे !
                     ये माहोल जीवन में एक यादगार बन गया !

!! अपने अज्ञान को दूर करके मन-मन्दिर में ज्ञान का दीपक जलाना भगवान् की सच्ची पूजा है !!
                                                                                                                        में हूँ ! आम आदमी !
                                                                                                                        मक्खन लाल पूनिया 



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