सत्यता से दूर भागते भारतीय राजनीतिक दल :-
आज देश में सभी पार्टियाँ दिनों दिन झूंठ का सहारा लेकर अपना - अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लगी ह,अपनी आत्मा की बात को दबाया जा रहा ह और जो पार्टियों में ऊपर से आवाज उठाई जाती ह सभी उसी का अनुसरण करने में लग जाते ह चाहे उसमे सच्चाई हो ना हो अपने विवेक को कहीं भी इस्तेमाल करने से कतराते हं आज पार्टी के निचे के लोग जो भी बोलते ह पहले उनको ये घबराहट होने लग जाती ह कि में जो बोल रहा हूँ वो पार्टी को कहीं चोट तो नहीं पहुंचा रही ह चाहे उसमे सत्यता हो या न हो !
अभी दो दिन पहले बी जेपी अधेक्ष नितिन गडकरी जी ने कहा कि शायद विवेकान्द और दाउदी इब्राहीम की आई क्यों एक ही रही होगी,लेकिन विवेकान्द जी ने सामाजिक कार्यों में इसका इस्तेमाल किया और दाउद इब्राहीम ने आतंक के क्षेत्र में दोनों ने ही अपने क्षेत्र में बढ़िया काम किया ! मेरे हिसाब से तो इस वाक्य में कोई गलत बात नहीं ह इस में दोनों की बुधि इस्तेमाल पर गडकरी ने अपने मत वेक्त किया ह और इसमें पार्टी में इतना बवाल पैदा हो गया !
मेरा कहने का ये मकसद ह कि आज हमारी सभी राजनेतिक पार्टियों को इन आपसी तुच्छ विचारों से ऊपर उठ कर देश को एक परिवार की तरह मानकर चलना चाहिय और समाज के हित में निर्णय लेकर ही हमेशा अपने विचार रखने चाहिय न कि पार्टी स्वार्थ में !
जिसमें सत्य को सत्य एवं असत्य को असत्य कहने का साहस हो, जो चाटुकारिता में नहीं बल्कि राज्यहित में विश्वास रखता हो, जो मान अपमान से परे हो, जिसे धन का लोभ न हो, जो कंचन व कामिनी से अप्रभावित रहे उसी व्यक्ति को राजा को अपना मंत्री अथवा गुरू नियुक्त करना चाहिये - चाणक्य नीति
जनता को अपने उमीदवार उपरोक्त वाक्य को ध्यान में रखते हुए करना चाहिए अगर जनता ऐसा करने में सक्षम नहीं ह तो उस राज्य की जनता अपना राज्य धर्म से भटक गयी मानो और जनता अपने नेतिक कर्तव्यों का भूल रही ह और ये हमेशा राज्य हित में नहीं होगा !
कल अमेरिका के हाल ही में जीत दर्ज कराने वाले राष्ट्रपति बराक ओबामा का भाषण वास्तव में एक देश को परिवार की तरह से रखने वाला था ओबामा जी ने अपने भाषण में मुख्य रूप से निम्न बातें कही :-
जनता के सामने अब केजरीवाल और उनकी टीम ने इन नेताओं की हकीकत को सामने रखने से सभी पार्टियाँ बोखला गयी ह एक विधायक ने तो ये तक बोल दिया कि अरविन्द केजरीवाल को दस वोट भी नहीं मिलेंगे जबकि विधायक जी ये प्रश्न किसी ने नहीं किया इससे तो मुझे यही लगता ह कि इन सब नेताओं को अब केजरीवाल का डर तो सताने लग गया ह अगर जनता ने ये समझने में देरी नहीं की तो अब जल्दी ही यहाँ पर हमें एक अच्छा परिवार का रूप देखने को मिलेगा और तब जाकर आम आदमी की इस देश में भागीदारी बढेगी !
में हूँ !आम आदमी !
मक्खन लाल पूनिया
आज देश में सभी पार्टियाँ दिनों दिन झूंठ का सहारा लेकर अपना - अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लगी ह,अपनी आत्मा की बात को दबाया जा रहा ह और जो पार्टियों में ऊपर से आवाज उठाई जाती ह सभी उसी का अनुसरण करने में लग जाते ह चाहे उसमे सच्चाई हो ना हो अपने विवेक को कहीं भी इस्तेमाल करने से कतराते हं आज पार्टी के निचे के लोग जो भी बोलते ह पहले उनको ये घबराहट होने लग जाती ह कि में जो बोल रहा हूँ वो पार्टी को कहीं चोट तो नहीं पहुंचा रही ह चाहे उसमे सत्यता हो या न हो !
अभी दो दिन पहले बी जेपी अधेक्ष नितिन गडकरी जी ने कहा कि शायद विवेकान्द और दाउदी इब्राहीम की आई क्यों एक ही रही होगी,लेकिन विवेकान्द जी ने सामाजिक कार्यों में इसका इस्तेमाल किया और दाउद इब्राहीम ने आतंक के क्षेत्र में दोनों ने ही अपने क्षेत्र में बढ़िया काम किया ! मेरे हिसाब से तो इस वाक्य में कोई गलत बात नहीं ह इस में दोनों की बुधि इस्तेमाल पर गडकरी ने अपने मत वेक्त किया ह और इसमें पार्टी में इतना बवाल पैदा हो गया !
मेरा कहने का ये मकसद ह कि आज हमारी सभी राजनेतिक पार्टियों को इन आपसी तुच्छ विचारों से ऊपर उठ कर देश को एक परिवार की तरह मानकर चलना चाहिय और समाज के हित में निर्णय लेकर ही हमेशा अपने विचार रखने चाहिय न कि पार्टी स्वार्थ में !
जिसमें सत्य को सत्य एवं असत्य को असत्य कहने का साहस हो, जो चाटुकारिता में नहीं बल्कि राज्यहित में विश्वास रखता हो, जो मान अपमान से परे हो, जिसे धन का लोभ न हो, जो कंचन व कामिनी से अप्रभावित रहे उसी व्यक्ति को राजा को अपना मंत्री अथवा गुरू नियुक्त करना चाहिये - चाणक्य नीति
जनता को अपने उमीदवार उपरोक्त वाक्य को ध्यान में रखते हुए करना चाहिए अगर जनता ऐसा करने में सक्षम नहीं ह तो उस राज्य की जनता अपना राज्य धर्म से भटक गयी मानो और जनता अपने नेतिक कर्तव्यों का भूल रही ह और ये हमेशा राज्य हित में नहीं होगा !
कल अमेरिका के हाल ही में जीत दर्ज कराने वाले राष्ट्रपति बराक ओबामा का भाषण वास्तव में एक देश को परिवार की तरह से रखने वाला था ओबामा जी ने अपने भाषण में मुख्य रूप से निम्न बातें कही :-
- अमेरिका एक परिवार की तरह से ह और में इस परिवार के मुखिया होने के नाते सब को साथ लेकर चलूँगा !
- हम हमारे बचों को एक सुरक्षित वातावरण देंगे !
- हमारे बच्चों को उच्च शिक्षा देने का हमारा कर्तव्य ह !
- हम सब सामाजिक,संस्कर्तिक ,राजनेतिक भेद भाव से ऊपर उठ कर एक संगठित अमेरिका का निमार्ण करेंगे !
जनता के सामने अब केजरीवाल और उनकी टीम ने इन नेताओं की हकीकत को सामने रखने से सभी पार्टियाँ बोखला गयी ह एक विधायक ने तो ये तक बोल दिया कि अरविन्द केजरीवाल को दस वोट भी नहीं मिलेंगे जबकि विधायक जी ये प्रश्न किसी ने नहीं किया इससे तो मुझे यही लगता ह कि इन सब नेताओं को अब केजरीवाल का डर तो सताने लग गया ह अगर जनता ने ये समझने में देरी नहीं की तो अब जल्दी ही यहाँ पर हमें एक अच्छा परिवार का रूप देखने को मिलेगा और तब जाकर आम आदमी की इस देश में भागीदारी बढेगी !
में हूँ !आम आदमी !
मक्खन लाल पूनिया
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