Sunday 4 November 2012

भूल करने में पाप तो है ही, परंतु उसे छिपाने में उससे भी बड़ा पाप है | -महात्मा गाँधी



भूल करने में पाप तो है ही, परंतु उसे छिपाने में उससे भी बड़ा पाप है | -महात्मा गाँधी


आज दिल्ली में कांग्रेस  ने रेली करके जगह जगह से जनता को परेशान किया और जनता को बहला फुसला कर दिल्ली ले जाया गया और भीड़ इक्कठी की गयी क्या अर्थ निकला इसका , जनता को भर्मित किया जा रहा ह ये वो एक बहुत बड़े पाप के भागीदार हो गए ह जो अपनी हकीकत को छिपा कर किया ह !


चरित्र कि शुदी ही सारे ज्ञान का ध्येय होना चाहिए |  -महात्मा गाँधी
               

ये कोंग्रेस  बापू को आदर्श मानने की बातें तो आये दिन करती रहती ह पर ह सब कुछ ही अलग आज की रेली में सोनियां जी ने भाषण तो पढ़ दिया पर क्या वो ये जनता के सामने पिछली बातों को दूर कर सकेगी , कांग्रेस अपनी ऊपर लगे सभी भ्रस्ताचार के दाग इन भाषणों से जनता को भूला पायेगी ? ये हो नहीं  सकता ,ये देश अपंग बेसहारा लोगों का सहारा छिनने वालों,गरीब के मुह से निवाला छिनने वाले ,इन कोंग्रेसियों को कभी नहीं भुला पायेगा में तो इस रेली से यही समजता हूँ कि अब हमें जल्दी ही एक और घोटाले का सामना करना पड़ेगा नहीं तो इस रेली में लगी इतनी बड़ी रकम कोई पेड़ से थोड़े तोड़ लेंगे ये सब जनता के मेहनत का पैसा ह जो भर्मित भाषण देकर ये सरकार जनता को लुटने में लगी ह !
                                  अब ये सरकार अपने अन्दर झांककर  देखनी कि सक्ती खो चुकी ह और तानाशाई करके बेचारी जनता को बेवकूप बना रही ह ,अब ये जनता इनके कारनामे भूल नहीं सक्ती ,जिस देश  के प्रधानमत्री के पास बेसहारा लोगों से मिलने का टाइम तक नहीं ,संसद में सब ने जन लोकपाल कि तिन शर्तों  को मानकर मुकरनी वाले ,दस दिनों तक देश के लाखों लोगों को भूखा देखकर भी इस सरकार को रहम नहीं आई आज वो बड़े बड़े पन्ने पड़कर जनता को संबोधन कर रही ह में तो ये मानता हूँ कि अब ये सरकार जनता का विस्वास खो चुकी ह सबसे निंदनीय प्रधानमंत्री जी को अब देश कि जनता से भाषण न करके अपने पद से इस्थिपा दे देना चाहिय उनको ये नहीं सोचना चाहिए कि हम ही इस देश को चला सकते ह ,कहीं तो गाँधी जी के आदर्शों को अपनाना चाहिए !
                 
- बुराई से असहयोग करना मानव का पवित्र कर्तव्य है |- महात्मा गाँधी

                                                                                                                               में हूँ ! आम आदमी 
                                                                                                                               मक्खन लाल पूनिया 

                                                                                                                  

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