Friday 9 November 2012

केजरीवाल का एक और बड़ा खुलासा आज

केजरीवाल का एक और बड़ा खुलासा आज :-सभी पार्टियों में आज फिर से डर हो गया कि केजी न मालूम कोनसा खुलासा करने वाले हँ ! भारत को आज आजाद हुए काफी समय हो गया पर किसी भी राजनेता या पार्टी में इतना डर पहले कभी देखने को नहीं मिला जो आज  मिल रहा ह ! भारत जेसे लोकतंत्र में दिनों -दिन बड़ी पार्टियों जनता के साथ आये दिन जो हत्याचार सता का हिस्तेमाल करके करते ह बहुत ही दुखद हं !

                                                            इन सभी बड़े खुलासों में मिडिया की भूमिका भी काफी सराहनीय ह जो जनता को इन सब से रूबरू करने सक्षम हूही ह ये बड़ी पार्टिया आज मिडिया को भी अपनी चुंगल में फ़साने का भरसक प्रयास करती ह परत्नु कुछ दिनों से मिडिया से जनता को देखने को मिला ह व् संतोष प्रद हं !मिडिया को आज अपनी जिमेदारी को नेतिक आधार मानते हुए जनता को उनके हक़ का एहसाश जरुर करवाना चाहिए तभी आम आदमी अपनी लोकतंत्र की रक्षा करने में आगे आयेंगे !आज कम्पूटर युग में  हमें सभी जानकारी जल्दी व् सही मिल जाती हं  हमें इसका फायदा भी उठाना चाहिए !

                                         जब हम आपस में कई बार बात करते हं कि केजरीवाल देश का बविश्य हं तब सभी के अलग -अलग विचार उभर कर सामने आते ह कोई बोलता ह इसमें विदेशी ताकतों का हाथ ह कोई बोलता ह ये सब एक ही ह आगे जाकर ये भी इन नेताओं की तरह से हो जायेगा ,इसमें अमेरिका का हाथ ह ,ये देश को बरबाद कर  देगा ,ये सब सुनकर ये लगता ह इन नेताओं ने देश की जनता को कितना निराशा वादी बना दिया ह ,और ये विचार आना स्वाभविक भी ह इस देश की जनता को सत्य से भी मुकरने में भी अब झिझक नहीं रही !
                                                   हमारे देश की लगभग ये भावना हो गयी ह कि कोई भी आरोप या प्रत्यारोप करता ह तो इसमें विदेशी ताकतों का हाथ ह ये वरना कर ही नहीं सकता !अभी रिलायंस कम्पनी पर आरोप लगाये तो कुछ ने कहा अरे ये तो देश को चला रहा ह में पूछना चाहता हूँ क्या रिलायन्स इस देश से भी बड़ा ह मेरा कहने का मकसद यही ह कि हमारी सोच बहुत ही कमजोर हो चुकी ह इन नेताओं की वजह से हमें इस देश के भविष्य के लिए सोच में परिवर्तन करना होगा वरना इस देश को बहुत समस्याओं का सामना करना होगा,हम में सत्य को स्वीकार करने की शक्ति होनी चाहिए तब ही गाँधी के सपने साकार होंगे 

                                                                                   में हूँ !आम आदमी 
                                                                                   मक्खन लाल पूनिया 

Wednesday 7 November 2012

सत्यता से दूर भागते भारतीय राजनीतिक दल :-

सत्यता से दूर भागते भारतीय राजनीतिक दल :- 
                                                                                                                        आज देश में सभी पार्टियाँ दिनों दिन झूंठ का सहारा लेकर अपना - अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लगी ह,अपनी आत्मा की बात को दबाया जा रहा ह और जो पार्टियों में ऊपर से आवाज उठाई जाती ह सभी उसी का अनुसरण करने में लग जाते ह चाहे उसमे सच्चाई हो ना हो अपने विवेक को कहीं भी इस्तेमाल करने से कतराते हं आज पार्टी के निचे के लोग जो भी बोलते ह पहले उनको ये घबराहट होने लग जाती ह कि में जो बोल रहा हूँ वो पार्टी को कहीं चोट तो नहीं पहुंचा रही ह चाहे उसमे सत्यता हो या न हो !
                              अभी दो दिन पहले बी जेपी अधेक्ष नितिन गडकरी जी ने कहा कि शायद विवेकान्द और दाउदी इब्राहीम की आई क्यों एक ही रही होगी,लेकिन विवेकान्द जी ने सामाजिक कार्यों में इसका इस्तेमाल किया और दाउद इब्राहीम ने आतंक के क्षेत्र में दोनों ने ही अपने क्षेत्र में बढ़िया काम किया ! मेरे हिसाब से तो इस वाक्य में कोई गलत बात नहीं ह इस में दोनों की बुधि इस्तेमाल पर गडकरी ने अपने मत वेक्त किया ह और इसमें पार्टी में इतना बवाल पैदा हो गया ! 
                   मेरा कहने का ये मकसद ह कि आज हमारी सभी राजनेतिक पार्टियों को इन आपसी तुच्छ विचारों से ऊपर उठ कर देश को एक परिवार की तरह  मानकर चलना चाहिय और समाज के हित में निर्णय लेकर ही हमेशा अपने विचार रखने चाहिय न कि पार्टी स्वार्थ में !

 जिसमें सत्‍य को सत्‍य एवं असत्‍य को असत्‍य कहने का साहस हो, जो चाटुकारिता में नहीं बल्कि राज्‍यहित में विश्‍वास रखता हो, जो मान अपमान से परे हो, जिसे धन का लोभ न हो, जो कंचन व कामिनी से अप्रभावित रहे उसी व्‍यक्ति को राजा को अपना मंत्री अथवा गुरू नियुक्‍त करना चाहिये - चाणक्‍य नीति

                     जनता को अपने उमीदवार उपरोक्त वाक्य को ध्यान में रखते हुए करना चाहिए अगर जनता ऐसा करने में सक्षम नहीं ह तो उस राज्य की जनता अपना राज्य धर्म से भटक गयी मानो और जनता अपने नेतिक कर्तव्यों का भूल रही ह और ये हमेशा राज्य हित में नहीं होगा !
                              कल अमेरिका के हाल ही में जीत  दर्ज कराने वाले राष्ट्रपति बराक ओबामा का भाषण वास्तव में एक देश को परिवार की तरह से रखने वाला था ओबामा जी ने अपने भाषण में मुख्य रूप से निम्न बातें कही :-


  • अमेरिका एक परिवार की तरह से ह और में इस परिवार के मुखिया होने के नाते सब को साथ लेकर चलूँगा !
  • हम हमारे बचों को एक सुरक्षित वातावरण देंगे !
  • हमारे बच्चों को उच्च शिक्षा देने का हमारा कर्तव्य ह !
  • हम सब सामाजिक,संस्कर्तिक ,राजनेतिक भेद भाव से ऊपर उठ कर एक संगठित अमेरिका का निमार्ण करेंगे !
ये  अमेरिकी राष्ट्र की मुखिया के बोल और आज हम जितने के बाद जो आपस में शब्द का प्रयोग करते ह ये हमारे लिए कितना दयनीय ह आखिर इस देश को ये नेता जाती,भाषा ,क्षेत्रीयता,आरक्षण के नाम पर इस देश को कब तक बांटते रहेंगे  ?  अपने स्वार्थ सिद्ध के लिए इस देश की जनता का कब तक शोषण करते रहेंगे ?
             जनता के सामने अब केजरीवाल और उनकी टीम ने इन नेताओं की हकीकत को सामने रखने से सभी पार्टियाँ बोखला गयी ह एक विधायक ने तो ये तक बोल दिया कि अरविन्द केजरीवाल को दस वोट भी नहीं मिलेंगे जबकि विधायक जी ये प्रश्न किसी ने नहीं किया इससे तो मुझे यही लगता ह कि इन सब नेताओं को अब केजरीवाल का डर तो सताने लग गया ह अगर जनता ने ये समझने में देरी नहीं की तो अब जल्दी ही यहाँ पर हमें एक अच्छा परिवार का रूप देखने को मिलेगा और तब जाकर आम आदमी की इस देश में भागीदारी बढेगी !

                                                                में हूँ !आम आदमी !
                                                                मक्खन लाल पूनिया 

Sunday 4 November 2012

भूल करने में पाप तो है ही, परंतु उसे छिपाने में उससे भी बड़ा पाप है | -महात्मा गाँधी



भूल करने में पाप तो है ही, परंतु उसे छिपाने में उससे भी बड़ा पाप है | -महात्मा गाँधी


आज दिल्ली में कांग्रेस  ने रेली करके जगह जगह से जनता को परेशान किया और जनता को बहला फुसला कर दिल्ली ले जाया गया और भीड़ इक्कठी की गयी क्या अर्थ निकला इसका , जनता को भर्मित किया जा रहा ह ये वो एक बहुत बड़े पाप के भागीदार हो गए ह जो अपनी हकीकत को छिपा कर किया ह !


चरित्र कि शुदी ही सारे ज्ञान का ध्येय होना चाहिए |  -महात्मा गाँधी
               

ये कोंग्रेस  बापू को आदर्श मानने की बातें तो आये दिन करती रहती ह पर ह सब कुछ ही अलग आज की रेली में सोनियां जी ने भाषण तो पढ़ दिया पर क्या वो ये जनता के सामने पिछली बातों को दूर कर सकेगी , कांग्रेस अपनी ऊपर लगे सभी भ्रस्ताचार के दाग इन भाषणों से जनता को भूला पायेगी ? ये हो नहीं  सकता ,ये देश अपंग बेसहारा लोगों का सहारा छिनने वालों,गरीब के मुह से निवाला छिनने वाले ,इन कोंग्रेसियों को कभी नहीं भुला पायेगा में तो इस रेली से यही समजता हूँ कि अब हमें जल्दी ही एक और घोटाले का सामना करना पड़ेगा नहीं तो इस रेली में लगी इतनी बड़ी रकम कोई पेड़ से थोड़े तोड़ लेंगे ये सब जनता के मेहनत का पैसा ह जो भर्मित भाषण देकर ये सरकार जनता को लुटने में लगी ह !
                                  अब ये सरकार अपने अन्दर झांककर  देखनी कि सक्ती खो चुकी ह और तानाशाई करके बेचारी जनता को बेवकूप बना रही ह ,अब ये जनता इनके कारनामे भूल नहीं सक्ती ,जिस देश  के प्रधानमत्री के पास बेसहारा लोगों से मिलने का टाइम तक नहीं ,संसद में सब ने जन लोकपाल कि तिन शर्तों  को मानकर मुकरनी वाले ,दस दिनों तक देश के लाखों लोगों को भूखा देखकर भी इस सरकार को रहम नहीं आई आज वो बड़े बड़े पन्ने पड़कर जनता को संबोधन कर रही ह में तो ये मानता हूँ कि अब ये सरकार जनता का विस्वास खो चुकी ह सबसे निंदनीय प्रधानमंत्री जी को अब देश कि जनता से भाषण न करके अपने पद से इस्थिपा दे देना चाहिय उनको ये नहीं सोचना चाहिए कि हम ही इस देश को चला सकते ह ,कहीं तो गाँधी जी के आदर्शों को अपनाना चाहिए !
                 
- बुराई से असहयोग करना मानव का पवित्र कर्तव्य है |- महात्मा गाँधी

                                                                                                                               में हूँ ! आम आदमी 
                                                                                                                               मक्खन लाल पूनिया 

                                                                                                                  

Friday 2 November 2012

करवा चोथ पर मेरी और से सब को शुभकामनायें



आज की रात मेरा दर्द मोहब्बत सुन ले;
कप कपाते हुए होंठों की शिकायत सुन ले;
आज इज़हारे ख़यालात का मौका दे दे;
हम तेरे शहर में आये हैं, मुसाफिर की तरह!



सरतों पर रिवाजों का सख्त पहरा है;
न जाने कौन सी उम्मीद पर जाकर, यह दिल ठहरा है;
मेरी आँखों में से छलकते हुए यह अश्क और गम की कसम;
मेरा यह प्यार, बहुत गहरा है!




आपने नज़र से नज़र कब मिला दी;
हमारी ज़िन्दगी झूमकर मुस्कुरा दी;
जुबां से तो हम कुछ भी न कह सके;
पर निगाहों ने दिल की कहानी सुना दी!


अगर जिंदगी में जुदाई न होती;
तो कभी किसी की याद न आई होती;
अगर साथ गुजरा होता, हर लम्हा;
तो सायद रिस्तो में इतनी, गहराई न होती!


बदलना आता नहीं हमको मौसम की तरह;
हम हर एक रूप में तेरा इंतज़ार करते हैं;
न समेट सकोंगी तुम इसे क़यामत की तरह;
कसम तुम्हारी हम तुम्हें इतना प्यार करते हैं!



                                                                                                             मक्खन 



Thursday 1 November 2012